संस्था

मुख्य लक्ष्य

मुख्य लक्ष्य एवं उद्देश्य जिसके लिए संस्था का गठन किया गया है:

  1. संस्थान के प्रबंधन को स्थापित कर उसका संचालन करना।
  2. प्रतिभागी सेवाओं के श्रेणी ‘अ’ के अधिकारियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा का निरंतर आयोजन कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करना साथ ही वरिष्ठ एवं मध्यम स्तर के अधिकारियों के लिए पुनश्चर्या कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  3. वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में संस्थान को ‘उत्कृष्टता के केंद्र’ के रूप में स्थापित करने के लिए व्यावसायिक क्षमता एवं अभ्यास के उच्चतम मानकों को बढ़ावा देना।
  4. लेखाशास्त्र, लेखा परीक्षा, वित्तीय एवं राजकोषीय प्रबंधन एवं संबन्धित विषयों के क्षेत्र में शोध अध्ययनों को शुरू करना एवं बढ़ावा देना।
  5. केंद्र एवं राज्य सरकारों की सह-सेवाओं एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों /संस्थानों के अधिकारियों के लिए वित्तीय एवं राजकोषीय प्रबंधन की शिक्षा को बढ़ावा देना।
  6. वित्त एवं लेखा के क्षेत्र में मुख्य रूप से केन्द्रीय एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर उसकी प्रगति को पूरे विश्व में बनाए रखना।

अन्य उद्देश्य

उपरोक्त निर्धारित मुख्य उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में, संस्थान के निम्नलिखित संबन्धित उद्देश्य भी होंगे:

  1. विशेष रूप से वित्तीय प्रबंधन, लोक वित्त, सरकारी लेखा एवं संसदीय वित्तीय नियंत्रण जैसे विषयों पर ज्ञान को बढ़ावा देना ताकि प्रतिभागी सेवाओं के अधिकारी आवश्यक ज्ञान अर्जित कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रभावशाली तरीके से कर सकें।
  2. प्रतिभागी सेवाओं के वर्तमान प्रशिक्षण संस्थाओं की क्षमता में वृद्धि करना ताकि वह अपने प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार कर सकें।
  3. प्रतिभागी सेवाओं के अधिकारियों को एक सामान्य मंच प्रदान करना ताकि उनके बीच पारस्परिक क्रिया तथा सुझावों एवं अनुभवों के विचारों का आदान-प्रदान सुविधाजनक रूप से हो सके।
  4. वित्तीय प्रबंधन के साथ कम्प्यूटर के प्रयोग की आधुनिकतम तकनीकों के हर पहलू से अधिकारियों को अवगत कराना।
  5. वित्तीय प्रबंधन के अध्ययन को देश एवं विदेश के संस्थानों एवं निकायों में बढ़ावा देने के लिए सहायता, बातचीत एवं सहयोग प्रदान करना।
  6. वित्तीय प्रबंधन पर लेखों, पुस्तकों, विनिबंधों, दैनंदिनियों इत्यादि के प्रकाशन की शुरुआत करना।
  7. पुस्तकलाय की स्थापना कर उसको संपोषित कर सूचना तंत्र को बनाए रखना।
  8. शोध एवं अन्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के परीक्षा परिणामों को घोषित कर उनका प्रसार करना।
  9. सरकारी विभागों, सार्वजनिक उद्यमों एवं संस्थानों के वर्तमान संगठनों की पद्धतियों, कार्यविधियों, प्रशिक्षण गतिविधियों तथा अन्य संबन्धित विषयों के पुनरीक्षण एवं सुधार के लिए परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
  10. प्रशिक्षित प्रतिभागियों को डिप्लोमा, प्रमाण पत्र एवं अन्य श्रेष्ठता उपाधि प्रदान करना परंतु ऐसे किसी भी डिप्लोमा, प्रमाण पत्र, श्रेष्ठता उपाधि को प्रदान करने से पूर्व प्रवीणता मानक निर्धारित करना।
  11. संस्थान के नियमों एवं उपविधि अनुसार ही अध्येतावृत्तियों, पुरस्कारों एवं पदकों को प्रदान करना।
  12. मानद एवं अन्य विशिष्टता पुरस्कार प्रदान करना।
  13. राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों तथा अध्ययन दौरों का आयोजन, संयोजन व संचालन करना तथा इनमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
  14. संस्था की आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय केन्द्रों की स्थापना एवं विकास कर इनको सम्बद्ध करना।
  15. संस्थान में कार्मिक, वित्त, प्रशासनिक, क्रय, छात्रावास प्रबंधन एवं अन्य मामलों से संबन्धित गतिविधियों को निर्बाध रूप से चलाने के लिए कार्यविधियों की स्थापना की करना।
  16. किसी भी ज़रूरी या उपयुक्त इमारत या उससे संबन्धित कार्यों का निर्माण, रख-रखाव, परिवर्तन, सुधार अथवा विकास संस्था के उद्देश्य को ध्यान में रखकर करना।
  17. संस्था वह सभी कार्य या तो एकाँकी रूप से या फ़िर अन्य संगठनों या व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से करती है जो कि उसे अपने उद्देश्यों की लाभ-प्राप्ति के लिए प्रासंगिक लगता है।