"मनुष्यों की आजीविका के स्रोत अर्थात वृत्ति को अर्थ कहते हैं। मनुष्यों से संयुक्त भूमि ही अर्थ है। उसकी प्राप्ति तथा पालन के उपायों की विवेचना करनेवाले शास्त्र को अर्थशास्त्र कहते हैं। "
-- कौटिल्य का अर्थशास्त्र (भाग 15)